दीपावाली पूजन के शुभ लग्न

पूजन के शुभ लग्न - प्रातः से अर्द्धरात्र्योत्तर तक 

धनु लग्न:- यह लग्न प्रातः 9 बजकर 19 मिनट पर आरम्भ हो रहा है। 9 बजकर 25 मिनट तक उद्वेग का चैघड़िया रहेगा। इस लग्न में पूजन प्रारंभ किया जा सकता है। लग्न में पंचमेश मंगल स्थित है, जो वर्गोत्तम होने से पूजनकर्ता के लिए लाभकारी बन गई है। लाभ स्थान में उच्च का शनि एवं दशम भाव लाभेश शुक्र विराजमान हैं, जिन पर देवगुरु बृहस्पति की लग्नेश के रूप में दृष्टि पड़ रही है। यह लग्न दोपहर 11 बजकर 20 मिनट तक रहेगा एवं लाभ का चैघड़िया 10 बजकर 49 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा। कल कारखाने, उद्योग समूह भूमि भवन, कार्य करने वालों के लिए यह समय पूजन के लिए उत्तम रहेगा। इस लग्न में पूजन 9 बजकर 30 मिनट के बाद ही प्रारंभ करें तो अति उत्तम रहेगा।

मकर लग्न:- यह चर लग्न है। इस लग्न का समय प्रातः 11 बजकर 23 मिनट से दोपहर 1 बजकर 3 मिनट तक है। उक्त लग्न के समय लाभ तथा अमृत का चैघड़िया का विशेष संयोग प्राप्त हो रहा है, जो अति उत्तम रहेगा। योग कारक शुक्र का भाग्य स्थान में तथा गुरु की दृष्टि होने से उच्च का शनि दशम स्थान में होने से उत्तम योग बन रहे हैं। सौन्दर्य प्रसाधन होटेल व्यवसाय, कागज आदि उद्योग समूह तथा कल कारखाने वालों के लिए यह समय लक्ष्मी कुबेर के पूजन के लिए उत्तम रहेगा। फैशन के कपड़े, पार्लर, जिम, स्पा तथा होटेल और बार से सम्बन्धित व्यवसाय करने वालों के लिए भी मकर लग्न उत्तम रहेगा। कृषि से सम्बन्धित उद्योग, पशु पालन तथा डेयरी व्यवसाय वालों के लिए भी मकर लग्न श्रेष्ठ फलदायी है।

कुंभ लग्न:- यह स्थिर लग्न है। इस लग्न का समय दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस लग्न में अमृत का चैघड़िया 1 बजकर 28 मिनट तक ही विद्यमान रहेगा। अतः कुंभ लग्न में पूजन का समय दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक ही मिल पाएगा, चूंकि 1 बजकर 29 मिनट से काल का चैघड़िया प्रारंभ होने से उत्तम नहीं होगा। इस लग्न में पूजन करने वालों को भाग्य स्थान में उच्च के शनि का तथा दशम में पंचमेश बुध का लाभ मिल रहा है। छोटे दुकानदार तथा किराना आदि का व्यवसाय करने वाले इस समय पूजन कर लाभ उठा सकते हैं।

मीन लग्न:- इस लग्न का समय दोपहर 2 बजकर 33 मिनट से 3 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इस लग्न में शुभ का चैघड़िया 2 बजकर 48 मिनट से मिलेगा। अतः भाग्येश मंगल का दशम स्थान में स्थित होना पूजन के लिए उत्तम स्थिति दर्शा रहा है।

मेष लग्न:- यह लग्न चर है। इस लग्न का समय दोपहर 3 बजकर 59 मिनट से सायं 5 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस लग्न में शुभ का चैघड़िया 4 बजकर 8 मिनट तक ही रहेगा। इस लग्न में पूजन करने वाले उक्त समय का लाभ उठा सकते हैं। 4 बजकर 8 मिनट से रोग का चैघड़िया लगेगा जो अगले 24 मिनट तक रहेगा। आप इसके बाद अपनी सुविधानुसार पूजन कर सकते हैं। सैनेटरी, बिजली, खेल खिलौने, बेकरी तथा छोटे स्तर की फैक्ट्री या फिर ट्रेडिंग अथवा फर्नीचर आदि के व्यापार में साझेदारी करने वालों के लिए यह समय पूजन करने के लिए उत्तम रहेगा।

वृष लग्न:- यह लग्न स्थिर लग्न है। इस लग्न का समय सायं 5 बजकर 35 मिनट से रात्रि 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस लग्न में 5 बजकर 28 मिनट से काल का चैघड़िया प्रारंभ हो रहा है, जो कि 7 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। इस लग्न में 7 बजकर 8 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट तक का ही समय लक्ष्मी कुबेर पूजन करने के लिए उचित रहेगा। लग्न में लाभेश बृहस्पति की उपस्थिति उत्तम योग दर्शा रही है।

मिथुन लग्न:- यह लग्न 7 बजकर 33 मिनट से प्रारंभ होकर रात्रि 9 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। उक्त लग्न के समय लाभ का चैघड़िया रात्री 8 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इसके उपरान्त उद्वेग का चैघड़िया प्रारंभ हो जाएगा। घर में सुख समृद्धि के लिए लक्ष्मी कुबेर पूजन का यह उत्तम समय है। पंचमेश शुक्र का शुभ स्थान में स्थित होना। सुख समृद्धि की ओर इंगित कर रहा है। इस लग्न में पूजन 7 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ करने का प्रयास करें, ताकि आपको लाभ के चैघड़िया का पूरा समय मिल सके।

कर्क लग्न:- यह चर लग्न है। यह लग्न 9 बजकर 45 मिनट से प्रारंभ होकर मध्य रात्रि 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। 10 बजकर 28 मिनट से शुभ का चैघड़िया प्रारंभ हो रहा है। आय स्थान में देव गुरु बृहस्पति की उपस्थिति भाग्येश होकर उत्तम स्थिति दर्शा रही है। इस लग्न में कुछ समय महानिशीथ काल का भी समय पूजन के लिए मिल रहा है।

सिंह लग्न:- यह स्थिर लग्न है। इस लग्न का प्रारंभ रात्रि 12 बजकर 5 मिनट से अर्द्धरात्रि के बाद 2 बजकर 20 मिनट तक है। इस लग्न के समय शुभ अमृत तथा चर का चैघड़िया का विशेष संयोग मिल रहा है। साथ ही महानिशीथ काल का उत्तम समय भी मिल रहा है। अतः महानिशीथ काल में विशेष पूजा करने वालों के लिए, जैसे हवन, तंत्र मंत्र और यंत्र सिद्धि और महालक्ष्मीजाप, अनुष्ठान आदि के लिए यह समय सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि शुभ अमृत का चैघड़िया भी इस समय विद्यमान रहेगा। जिन महानुभावों का व्यापार या कारोबार धीमा चल रहा है, आर्थिक कष्ट दूर नहीं हो रहे हैं, उनके लिए भी यह समय उत्तम है। इस समय लाल कमल के फूल को गाय के घी में डूबोकर श्रीसूक्त की ऋचाओं (मंत्र) तथा श्री लक्ष्मी सूक्त मंत्र के साथ हवन करें तो यह वर्ष आपके लिए अत्यन्त ही सुख समृद्धि कारक रहेगा।

सूची

  • रमा एकादशी - सनातन धर्म में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी रमा एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के दामोदर स्वरूप के पूजन का विधान है। कार्ति...
  • राधा और कृष्ण के विवाह की कथा - श्रीकृष्ण के गुरू गर्गाचार्य जी द्वारा रचित “गर्ग संहिता” में भगवान श्रीकृष्ण और उनकी लीलाओं का सबसे पौराणिक आधार का वर्णन किया गया है। गर्ग संहिता के सोलह...
  • ऋषि पंचमी पर ऋषियों का पूजन अवश्य करें - ऋषि पंचमी पर ऋषियों का पूजन अवश्य करना चाहिए। समाज में जो भी उत्तम प्रचलन, प्रथा-परम्पराएं हैं, उनके प्रेरणा स्रोत ऋषिगण ही हैं। इन्होंने विभिन्न विषयों पर...
  • देवर्षि नारद - नारद मुनि हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक है। उन्होने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया है। वे भगवान विष्णु के अन...
  • बोध गया - गया जी गया बिहार के महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थानों में से एक है। यह शहर ख़ासकर हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए काफ़ी मशहूर है। यहाँ का 'विष्णुपद मंदिर' पर्यटकों ...
  • श्रीकृष्ण ने क्यों माना है ध्यान को जरुरी? - श्रीकृष्ण ने क्यों माना है ध्यान को जरुरी? भागवत में भगवान कृष्ण ने ध्यान यानी मेडिटेशन पर अपने गहरे विचार व्यक्त किए हैं। वैसे इन दिनों ध्यान फैशन का व...

1

0