धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव का प्रारंभ


धनतेरस :- 
धनतेरस यानी समृद्धि का पर्व समुद्र मंथन से इसी दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन धन और धन्वंतरि का पूजन होता है। जमीन, घर, वाहन, बर्तन और सोना-चांदी में निवेश करने की परंपरा है। अधिक पढें ... 

रूप / नरक चतुर्दशी :-
रूप चतुर्दशी यानी स्वास्थ्य का पर्व। तेल व उबटन से स्नान और शृंगार का महत्व। तेल में लक्ष्मी और जल में गंगा का वास है। इसी दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। शाम को हनुमान मंदिर में दीपदान कर यमराज के निमित्त 14 दीपक का विधान है। अधिक पढें ... 

दीपावली :- 
दीपावली यानी सौभाग्य का उत्सव। श्री गणेश सहित लक्ष्मी, कुबेर और सरस्वती का पूजन सुख, समृद्धि लेकर आता है। आज ही के दिन समुद्र मंथन से लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। प्रसन्नता के लिए श्रीसुक्त, लक्ष्मी सूक्तव गोपाल सहस्रनाम के पाठ का विधान है। अधिक पढें ... 

अन्नकूट पर्व व गोवर्धन पूजा :- 
गोवर्धन पूजा यानी संपन्नता का दिन। गोवर्धन रूपी श्रीकृष्ण की पूजा से संपन्नता आती है। गाय को सजाकर उसकी पूजा की जाती है। शाम को 56 भोग लगाकर अन्नकूट महोत्सव मनाने की परंपरा है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। अधिक पढें ... 

भाईदूज यानी संस्कारों का त्योहार। यह भाई और बहन के बीच रिश्तों का पर्व है। बहनें भाई के दीर्घायु होने की कामना करती है। भाईदूज के साथ ही पांच दिनी महोत्सव का समापन हो जाता है। इसी दिन भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा होती है। अधिक पढें ... 



|| गीता प्रसार परिवार आप सभी के मंगलमय दीपोत्सव की कमना करता है ||

सूची

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